Bajrang Baan Hindi – बजरंग बाण लिखित में
Bajrang Baan Hindi : हनुमान जी को संकट मोचन कहा जाता है, हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त हैं और उन्हें वरदान है कि इस कलयुग में जो भी व्यक्ति किसी भी संकट में हो अगर वह हनुमान जी की पूजा करता है तो उसकी सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख समृद्धि और शांति आती है। अगर आप भी अपने जीवन में एक के बाद एक परेशानियां उठाते हैं, आर्थिक स्थिति खराब रहती है, व्यापार में बार-बार नुकसान होता है, विवाह में बार-बार बाधा आती है, कुंडली में ग्रह दोष है, आपको सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए आज से ही प्रतिदिन भगवान हनुमान जी की पूजा शुरू करें और साथ में प्रत्येक दिन बजरंग बाण पाठ ( Bajrang Baan Hindi ) करें।
बजरंग बाण पाठ ( Bajrang Baan Hindi ) के प्रभाव से आपके जीवन में आने वाले सभी संकट समाप्त होंगे एवं आपके हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी, अगर आप अपने जीवन में टेंशन फ्री रहना चाहते हैं तो आप आज से ही बजरंग बाण पाठ पढ़ना शुरू करें, आपको बजरंग बाण पाठ करने में किसी भी तरह की समस्या ना हो इसके लिए हम बजरंग बाण लिखित में लेकर आए हैं, आप नीचे दिए गए “बजरंग बाण लिखित में” प्रतिदिन हनुमान जी की पूजा के साथ पाठ करें –
Bajrang Baan Hindi – बजरंग बाण लिखित में
संपूर्ण बजरंग बाण
दोहा
“निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।”
“तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥”
चौपाई
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।
अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिं मारु बज्र की कीले।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।
जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।
दोहा
” प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। “
” तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। “
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