Home Remedies for children Stomach Problem: आज के भाग दौड़ के जमाने में व्यस्थता के चलते बहुत से माता-पिता सही से अपने बच्चों की देखभाल नहीं कर पाते हैं जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है और वह छोटी-छोटी बीमारियों की चपेट में आकर बड़ी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। यही नहीं बच्चों के स्वास्थ्य पर मौजूदा समय में चल रहे मिलावटी भोजन सामग्री का भी असर पड़ता है।
वहीं बात अगर उनको होने वाली बीमारियों की कि जाए तो आपको बता दें कि ऐसी लापरवाही बरतने से आपके बच्चे अपच, गैस और कब्ज जैसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं और फिर समय पर स्वास्थ्य लाभ ना मिलने पर अभिभावकों की चिंताएं बढने लगती हैं। लेकिन आप घबराईगा नहीं क्योंकि आज हम आपको बताने वाले हैं कुछ ऐसे घरेलू उपचारों के बारे में जिनके सही से इस्तेमाल से आप सभी उपरोक्त समस्याओं से शीघ्र निजात पा सकते हैं।
जैसा कि हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि बच्चों को विभिन्न प्रकार की दवाओं से दूर रख घरेलू उपचार को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि वह बिना किसी साइड इफेक्ट के सुरक्षित और स्वथ्य रह सकें। क्योंकि घरेलू उपचार से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
Tips For: Best Home Remedies for children Stomach Problem
विभिन्न दवाओं से युक्त
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बालगुती विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं का एक अनूठा मिश्रण है। जिसमें अलग-अलग तरह के औषधीय तत्व पाए जाते हैं और जिसका इस्तेमाल छोटे-छोटे बच्चों के शरीर को सक्षम करना है। बता दें कि इसके अंदर अश्वगंधा, अतीविश, मुरुड्सेंग, बाल हिरदा, जायफल, अदरक, हल्दी की जड़, खरिक, बादाम, जेठमधाम, दिक्माली, वेखंड और कक्क्ड़ शिंगी मिले होते हैं। आपको यह मिश्रण बाजार में भी मिल सकता है, यदि ना मिले तो आप खुद इसे तैयार कर सकते हैं और अपने बच्चों के स्वास्थ्य के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
यहाँ विस्तार से जानिए विधि-
इसके लिए सबसे पहले आपको चाहिए कि गैस पर एक बर्तन रखें, पॉट को आधा भरने के लिए पर्याप्त दूध जोड़ें, फिर जायफल डालें। अब इस दूध को जायफल के साथ उबलने दें। जब दूध उबल जाए तो उसे ठंडा होने दें और जब यह ठंडा हो जाये तो इसे दही बनने दें। जब दही तैयार हो जाए, तो जायफल को एक तरफ रख दें और एक स्क्वैश छीलें, इसे कद्दूकस करें और एक बूंद पानी डालें। इससे बनने वाला एकमात्र तरल ही घरेलू दवा है।
जानिए फायदे
बताते चलें कि इस घरेलू दवा को माँ के दूध या पानी में मिलाकर बच्चे को खिलाया जाता है। बालगुटी में मौजूद औषधीय पौधों की विविधता के कारण, इसमें विभिन्न औषधीय गुण पाये जाते हैं। बहुत से माता-पिता बच्चे को पहले दिन से दूध पिलाना शुरू कर देते हैं। कहा जाता है कि बच्चे को दूध पिलाने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और दांत दर्द या दस्त और कब्ज होने पर उसे होने वाले दर्द में कमी आती है।
सेवन
अगर आपका बच्चा बार-बार रोता है, तो आप उसको शांत करने के लिए खिला सकते हैं। दांत निकलने पर मसूड़ों में सूजन और दर्द को कम करने के लिए व बच्चे का पेट फूला हुआ है या उसे अपच है, तो बच्चे को उसके पाचन में सुधार करने के लिए दिया जाता है।
चिकित्सकों की राय
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, शिशुओं को जन्म के 6 माह बाद तक स्तन का दूध और फार्मूला दूध के अलावा कुछ नहीं दिया जाना चाहिये। यह अवधि उनके शरीर के लिए बेहद नाजुक है। ऐसे में बच्चे को अपनी माँ के दूध की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
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