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Kalbhairav Ashtak : काल भैरव अष्टक पाठ से दूर होंगे जीवन के सभी कष्ट, जीवन में होगा मंगल ही मंगल

Kalbhairav Ashtak : काल भैरव अष्टक पाठ से दूर होंगे जीवन के सभी कष्ट, जीवन में होगा मंगल ही मंगल अगर आपके जीवन में कठिन परिश्रम और लगातार प्रयास के बाद आपको हर क्षेत्र में असफलता प्राप्त होती है तो आपके लिए काल भैरव अष्टक पाठ बहुत ही फायदेमंद होता है। काल भैरव को भगवान शिव जी का स्वरूप माना जाता है। कलयुग में काल भैरव की पूजा करने से और काल भैरव अष्टक पाठ ( Kalbhairav Ashtak ) करने से आपके जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। अगर आप प्रत्येक रविवार को काल भैरव की पूजा के समय काल भैरव अष्टक पाठ करते हैं तो इससे प्रेत एवं तांत्रिक बाधा दूर होती है।

काल भैरव पाठ करने मात्र से ही आपके घर की सभी बाधायें से मुक्ति मिलती है, संतान को दीर्घायु प्राप्त होती है, जीवन में चल रहे सभी समस्याएं दूर होते हैं, कुंडली में राहु और केतु का प्रभाव समाप्त होता है। काल भैरव अष्टक पाठ ( Kalbhairav Ashtak ) एक नहीं बल्कि कई सारी समस्याओं का एक रामबाण तरीका है। अगर आप अपने जीवन में सुख समृद्धि शांति चाहते हैं तो आप आज से ही काल भैरव अष्टक पाठ करना शुरू करें।

काल भैरव अष्टक ( Kalbhairav Ashtak )

देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥

शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥

॥ फल श्रुति॥

कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥

॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥

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