मस्जिद के लिए जमीन देने को तैयार हुआ हिंदू परिवार और मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में वैकल्पिक जमीन दी जाएगी राम जन्मभूमि विवाद का फैसला सुप्रीम कोर्ट से आने के बाद मस्जिद के लिए जमीन के प्रस्ताव अयोध्या के स्थानीय लोगों से आने शुरू हुए है|
मस्जिद के लिए जमीन देने को तैयार हुआ हिंदू परिवार
- अयोध्या जमीन विवाद को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है
- जिसमें विवादित जमीन रामलला के नाम की है 8 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट
- के फैसले के अनुसार विवादित जमीन को रामलला के नाम किया है तथा मुस्लिम
- समाज को मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक जमीन देने का ऐलान किया है| सुप्रीम
- कोर्ट ने मुस्लिम समाज को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन अयोध्या में देने
- का निर्देश दिया है जिस पर जिला प्रशासन ने जमीन तलाशना शुरू कर दिया है इसी
- बीच श्री राम जन्मभूमि पर विराजमान रामलला से करीब 30 – 35 किलोमीटर दूरी
- पर विभिन्न तहसीलों में मुस्लिम समाज के लिए मस्जिद बनाने के लिए जमीन तलाशने
- का काम प्रशासन ने जोर-जोर से शुरू कर दिया है दूसरी तरफ जिले के बड़ा गांव के पास
- सांगापुर रोड पर राज नारायण दास ने मस्जिद बनाने की खुशी में अपनी 5 एकड़ जमीन
- देने की तैयारी के लिए जिला सरकार को पत्र भेजा है इसी सिलसिले में वह जल्द ही जिलाधिकारी
- से मिलकर प्रस्ताव पर बात करेंगे राज नारायण दास का कहना है कि उनके पास एक बड़ा गांव के
- पास सांगापुर रोड के पास एक 5 एकड़ जमीन है उसे मस्जिद बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है
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राम मंदिर बनाने का जिम्मा केंद्र सरकार को सौंपा
अयोध्या में भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर काफी विवाद चल रहा था
यह केस सुप्रीम कोर्ट ने कई सालों से चल रहा है लेकिन 8 नवंबर 2019 को
सुप्रीम कोर्ट में विवादित जमीन को रामलीला के नाम कर दी है तथा मुस्लिम
समाज को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में वैकल्पिक जमीन दी जाएगी
अयोध्या में राम मंदिर बनाने का जिम्मा केंद्र सरकार को सौंपा है केंद्र सरकार को
ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर बनाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट से मिला है इसी को लेकर कार्य शुरू हो चुका है
केंद्र सरकार ने ट्रस्ट बना दिया है तथा इस ट्रस्ट का अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ को बनाया है| भगवान श्री राम का मंदिर बनाने के लिए पिंडवाड़ा से 250 ट्रक पत्थर भी अयोध्या भेज दिए गए हैं|
जहां तक अयोध्या के संत धर्माचार्य व विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी का मानना है
कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सभी मान्य करें लेकिन बाबर के नाम पर मस्जिद स्वीकार नहीं करेंगे