तांत्रिक बजरंग बाण पाठ से दूर होगी बड़ी से बड़ी परेशानियां और संकट, जानिए बजरंग बाण के चमत्कार
तांत्रिक बजरंग बाण : अगर आप अपने जीवन में हर तरफ से निराश हो चुके हो, आपको कोई रास्ता ना दिख रहा हो तो ऐसी स्थिति में तांत्रिक बजरंग बाण पाठ आपके लिए सभी परेशानियों और संकट से निकलने का अच्छा रास्ता है। तांत्रिक बजरंग बाण पाठ के प्रभाव से आप हर प्रकार की समस्याओं से बाहर निकाल सकते हैं क्योंकि बजरंग बाण पाठ करने वाले के ऊपर हनुमान जी की सदैव आशीर्वाद रहता है, इस कलयुग में जिस व्यक्ति के ऊपर हनुमान जी की कृपा रहती है उसे व्यक्ति को जीवन में कभी कोई समस्या तकलीफ नहीं होती है।
तांत्रिक बजरंग बाण हनुमान जी को समर्पित एक बहुत ही प्रभावशाली स्रोत है, तांत्रिक बजरंग बाण पाठ जो भी व्यक्ति करता है उस पर हनुमान जी की कृपा बरसती ही बरसती है, धार्मिक शास्त्रों के अनुसार तांत्रिक बजरंग बाण आपको हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियों के साथ-साथ जीवन में आने वाली बाधाओ से बचाता है। चलिए अब हम आपको तांत्रिक बजरंग बाण को लिखित में दे रहे हैं और साथ में तांत्रिक बजरंग बाण के चमत्कार के बारे में भी जानकारी देते हैं।
तांत्रिक बजरंग बाण – Bajrang Baan
बजरंग बाण ध्यान
श्रीराम अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
चौपाई
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।
जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।
गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।
जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।
वन उपवन जल-थल गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पाँय परौं कर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।
जै अंजनी कुमार बलवन्ता। शंकर स्वयं वीर हनुमंता।।
बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।
इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी। राखु नाथ मर्याद नाम की।।
जनक सुता पति दास कहाओ। ताकी शपथ विलम्ब न लाओ।।
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत सुसह दुःख नाशा।।
उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को कस न उबारौ। सुमिरत होत आनन्द हमारौ।।
ताते विनती करौं पुकारी। हरहु सकल दुःख विपति हमारी।।
ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा। कस न हरहु दुःख संकट मोरा।।
हे बजरंग, बाण सम धावौ। मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।
हे कपिराज काज कब ऐहौ। अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।
जन की लाज जात ऐहि बारा। धावहु हे कपि पवन कुमारा।।
जयति जयति जै जै हनुमाना। जयति जयति गुण ज्ञान निधाना।।
जयति जयति जै जै कपिराई। जयति जयति जै जै सुखदाई।।
जयति जयति जै राम पियारे। जयति जयति जै सिया दुलारे।।
जयति जयति मुद मंगलदाता। जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।
ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा। पावत पार नहीं लवलेषा।।
राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।।
विधि शारदा सहित दिनराती। गावत कपि के गुन बहु भांति।।
तुम सम नहीं जगत बलवाना। करि विचार देखउं विधि नाना।।
यह जिय जानि शरण तब आई। ताते विनय करौं चित लाई।।
सुनि कपि आरत वचन हमारे। मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे।।
एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।
याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।
मेटत आए दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
डीठ, मूठ, टोनादिक नासै। परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे।।
भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।
प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।
आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छांह काल नहिं चापै।।
दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।
यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।
शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर कांपै।।
तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।
बजरंग बाण के चमत्कार और फायदे
- नियमित रूप से बजरंग बाण पाठ करने से आपके जीवन की गंभीर से गंभीर संकट से मुक्ति मिलती है।
- नियमित रूप से बजरंग बाण पाठ करने से आपको हनुमान जी रक्षा करते हैं।
- नियमित रूप से बजरंग बाण पाठ करने से आपको शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- नियमित रूप से बजरंग बाण पाठ करने से आपके जीवन में आने वाले आर्थिक संकट समाप्त होते हैं और जीवन में सुख समृद्धि शांति आती है।
- बजरंग बाण पाठ के प्रभाव से आपको हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
- बजरंग बाण पाठ से सभी ग्रहों के प्रभाव समाप्त होते हैं और आपकी कुंडली के सभी दोष खत्म होते हैं।
- बजरंग बाण पाठ के प्रभाव से आपको आत्मविश्वास और साहस की प्राप्ति होती है।
- बजरंग बाण पाठ के प्रभाव से आपको स्वास्थ्य और ब्लड प्रेशर में फायदा मिलता है।
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बजरंग बाण पाठ विधि
बजरंग बाण पाठ को आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त या सूर्यास्त के बाद कर सकते हैं। बजरंग बाण पार्ट्स करने से पहले आपको स्नान करना इसके बाद आप साफ स्वच्छ कपड़े धारण करें और हनुमान जी की प्रतिमा के सामने बैठकर घी का दीपक जलाएं और भगवान श्री राम को स्मरण करते हुए पहले पूजा करें। अब आप मन को एकांत करके पूरे भक्ति भाव के साथ बजरंग बाण का पाठ करें।

